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Vandana Srivastava

Tragedy Inspirational

4.6  

Vandana Srivastava

Tragedy Inspirational

नया परिवार

नया परिवार

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संयुक्त का हो रहा एकल में विघटन,

घुटन,थकन,जलन तिस पर यह टूटन,

सवाल जवाब की तनिक नहीं गुंजाइश,

यह कैसा वक्त है और कैसी आजमाइश,


हर उम्मीद हर आशा पर खरे उतरते गये,

ज्यों ज्यों समय संग बच्चे बड़े होते गये,

धीरे धीरे मनभेद बदलता रहा मतभेद में,

सॉंस घुटने लगी फिर एक साथ रहने में ,


बूढ़े मॉं बाप नम ऑंखों से देख रहे परिवार को ,

जिसको खून पसीने से सींचा था उस इंतजार को,

एक दिन बड़ा होगा तब मिलकर सब खुशी मनायेंगे,

हर दिन उत्सव होग

ा ऑंगन में मिलबॉंट सभी खायेंगे,


बिटिया की शादी हुई उसका बस गया नया संसार,

बेटों की शादी कर दी तो खिंच गई बीच घर में दीवार,

मॉं बाप मूक से देख रहे इस विभाजन को खड़े हो द्वार,

हाय ना जाने कौन सिखाता है क्या जो टूटने लगे परिवार,


हाथ पकड़ कर संगिनी बोली हम किसके हिस्से में आयेंगे,

कहीं विभाजित हो गये हम भी तो फिर कैसे मिल पायेंगे,

अरे क्यों करती हो चिन्ता मरते दम तक साथ निभाऊंगा,

चलो चलें यहॉं से दूर मजबूर बच्चों को ले एक नया परिवार बनाऊंगा !


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