उम्मीद आजकल
उम्मीद आजकल
झूला झूलती रही है देखो इलाज की नेमतें।
उम्मीद लगाए बैठी है यहाँ बीमार की हसरतें।
ठीक होना तो सभी चाहतें हैं लेकिन,
मिलती नहीं लगती सरकार की मोहब्बतें।
ब्रिटेन में शुरू हो चुका सभी का वेक्सिनेशन।
वो बाहर आ रहे ख़त्म हो रहा अब तो टेंशन।
भारत विश्व गुरु होकर भी पीछे क्यों रहता है,
ख़त्म क्यों नहीं होता किसान का शोषण।
काश जल्दी से भारत में भी वैक्सीन आये।
बीमारी का डर हर किसी को है सताये।
उम्मीद लगाये बैठी है यहाँ साँसे सभी की,
कौन जाने कितने मर चुके कितने बच पाये।
निडर होकर घूम रहे क्योंकि पेट का सवाल है।
ग़रीबी भी तो ज़िन्दगी का मनहूस बवाल है।
जो सावधान है वही जीता रहेगा समझो सभी,
सब समझते हैं कि चल रहा कोरोना काल है।