दर्द, एक पँछी का
दर्द, एक पँछी का
जाऊँ तो जाऊँ मैं..
अब कहाँ मैं जाऊँ l
दर्द अपने दिल का..
किसे मैं अब बताऊँ l
उजड़ी वो बस्तियाँ..
किसे मैं वो दिखाऊँ l
गाथा तेरे कर्मों की..
किसे मैं अब सुनाऊँ l
हाल-ए-दिल अपना..
किसे मैं अब बताऊँ l
जाऊँ तो जाऊँ मैं..
अब कहाँ मैं जाऊँ l
सूखी है हर शाख..
सूखी है हर डाली l
आशियाना अपना..
कहाँ मैं अब बसाऊँ l
फैला है चारो ओर..
मोबाइल रेडीएशन l
किस साख पर अब..
मैं दिन रैन बिताऊँ l
जाऊँ तो जाऊँ मैं..
अब कहाँ मैं जाऊँ l
बिखरा है खेतों मे..
अंधाधुंध कीटनाशक l
खेतो से दाना अब..
कैसे मैं चुगकर लाऊँ l
जानलेवा इस मांझे से..
कैसे अपने प्राण बचाऊँ l
कैसे मैं स्वछंद विचरू..
कैसे नभ मे उड़ जाऊँ l
जाऊँ तो जाऊँ मैं..
अब कहाँ मैं जाऊँ l
प्यासा हूँ मैं कब से..
कैसे ये प्यास बुझाऊँ l
भूखा हूँ कई दिन से..
कैसे मैं भूख मिटाऊँ l
बेदर्द इस दुनिया में..
किसे लाचारी दिखाऊँ l
दर्द अपने दिल का..
किसे मैं अब बताऊँ l
जाऊँ तो जाऊँ मैं..
अब मैं कहाँ जाऊँ l
