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Arya Vijay Saxena

Tragedy

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Arya Vijay Saxena

Tragedy

दर्द, एक पँछी का

दर्द, एक पँछी का

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जाऊँ तो जाऊँ मैं..

अब कहाँ मैं जाऊँ l


दर्द अपने दिल का.. 

किसे मैं अब बताऊँ l

उजड़ी वो बस्तियाँ..

किसे मैं वो दिखाऊँ l


गाथा तेरे कर्मों की.. 

किसे मैं अब सुनाऊँ l

हाल-ए-दिल अपना.. 

किसे मैं अब बताऊँ l


जाऊँ तो जाऊँ मैं.. 

अब कहाँ मैं जाऊँ l


सूखी है हर शाख.. 

सूखी है हर डाली l

आशियाना अपना.. 

कहाँ मैं अब बसाऊँ l


फैला है चारो ओर..

मोबाइल रेडीएशन l

किस साख पर अब.. 

मैं दिन रैन बिताऊँ l


जाऊँ तो जाऊँ मैं..

अब कहाँ मैं जाऊँ l


बिखरा है खेतों मे.. 

अंधाधुंध कीटनाशक l

खेतो से दाना अब.. 

कैसे मैं चुगकर लाऊँ l


जानलेवा इस मांझे से..

कैसे अपने प्राण बचाऊँ l

कैसे मैं स्वछंद विचरू.. 

कैसे नभ मे उड़ जाऊँ l


जाऊँ तो जाऊँ मैं.. 

अब कहाँ मैं जाऊँ l


प्यासा हूँ मैं कब से..

कैसे ये प्यास बुझाऊँ l

भूखा हूँ कई दिन से..

कैसे मैं भूख मिटाऊँ l


बेदर्द इस दुनिया में.. 

किसे लाचारी दिखाऊँ l

दर्द अपने दिल का.. 

किसे मैं अब बताऊँ l


जाऊँ तो जाऊँ मैं.. 

अब मैं कहाँ जाऊँ l



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