दुआएं दिल से
दुआएं दिल से
दुआएँ जो की मैंने आसमानों से,
बनकर बादल, वो ज़मीं पर छाने लगे l
मिलने मिट्टी की सौंधी खुशबू से,
बनकर बूंदें, वो वसुंधरा पर आने लगे l
दुआएँ जो की मैंने कद्रदानों से,
बनकर वफा, सांसो को महकाने लगे l
देकर अपनी चाहत का नज़राना,
अल्फाजों को मेरे, वो गुनगुनाने लगे l
दुआएँ जो की, मैंने मयखानों से,
बनकर जाम, कदमों को बहकाने लगे l
देखकर परवाज़ मेरे हौसलों की,
अलख मंजिलों की मन में जगाने लगे l
दुआएँ जो की मैंने आशियानों से,
बनकर ख़्वाब, नैनों में वो समाने लगे l
रौशन रहे चराग सा तू, कहकर ये,
बनकर हँसी, लबों पर वो इतराने लगे l
दुआएँ जो की मैंने गुलिस्तानों से,
बनकर इत्र, रूह में वो बस जाने लगे l
मुस्तकबिल बुलंद, सदा रहे तेरा,
देकर ये आशीष, और वो मुस्काने लगे l
दुआएँ जो की मैंने भगवानों से,
सार जीवन का, प्रेम से वो समझाने लगे l
मत दुखाना दिल किसी गरीब का,
कहकर ये, सिर पर हाथ वो फिराने लगे l
:-✍️Arya Vijay Saxena
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