माथे पर बिंदी सजे न सजे आँखों में ढेरों ख़्वाब हैं बसे माथे पर बिंदी सजे न सजे आँखों में ढेरों ख़्वाब हैं बसे
देकर अपनी चाहत का नज़राना.. अल्फाजों को मेरे, वो गुनगुनाने लगे. देकर अपनी चाहत का नज़राना.. अल्फाजों को मेरे, वो गुनगुनाने लगे.
कहीं खुद पे न इतराने लगूं ,इसलिये वो शायद डरते हैं कहीं खुद पे न इतराने लगूं ,इसलिये वो शायद डरते हैं