वो ख्वाब हैं या कोई कीमती धोखा
वो ख्वाब हैं या कोई कीमती धोखा
उन्हें गैरों से अब फुर्सत नहीं मिलती,
हमें भी किसी और से मोहब्बत नहीं होती,
किस कदर रोज गैरों का हाल घंटो लेते हैं,
हम आदि को अपना बनाकर छोड़ देते हैं।
कभी तो होगा एहसास उन्हें मेरे प्यार का,
वो लौट आयेंगे सजाने घर अपने यार का।
पलकों पे बिठाकर उन्हें हमने देखा है,
वो ख्वाब हैं या कोई कीमती धोखा है।
अमन से हो चमन तेरी बर्बाद जिंदगी,
तो शौक से भुला दे मेरी नमाज़ जिंदगी।
दखल देने वाले अक्सर घर उजाड़ देते हैं,
जब लोग जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं।