नवयुवक भी क्या करें
नवयुवक भी क्या करें
उठते ही जिसको मोबाइल की लत लग गई है।
टेलीविजन के इर्द-गिर्द जिंदगी सिमट गई है।
जिसको मिले हो कॉन्वेंट के संस्कार।
गुड मॉर्निंग और गुड नाईट कह जिंदगी गुजर रही है।
पता नहीं उसने कब से नहीं देखा उगता हुआ सूरज।
पिता भी असमय बूढ़ा-सा हुआ कैसे धरे धीरज।
उसे पता है बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं है।
हल से भी गया अरे!घर से भी गया, कहीं का नहीं है।