बरसात वही है
बरसात वही है
बरसात वही है भिगोएं कुछ पल फुरसत के
जागे हुए थे जहाँँ कुछ अहसास-ए-हसरत के
बूँद-बूँद तरसी जमीं को महकाया जी भर के
सर्द हवाओं के काफ़ीलोंने अपनाया मर-मर के
कुछ पल रूक से गयें तेरे-मेरे दरमियाँ आ के
बरसात वही थमी सी है बेबस गर्मियाँ बहा के।