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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Tragedy

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Tragedy

प्यार वाली बोलियाँ सिखाते हो

प्यार वाली बोलियाँ सिखाते हो

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खून ही बहाते रहे, रक्त से नहाते रहे, और हमें फाग वाली होलियाँ सिखाते हो ।

झुण्ड-झुंड छाँट चले, मुंड-मुंड काट चले, और हमें शांति वाली टोलियां सिखाते हो ।

लूट-लूट बस्तियों को, सेते रहे हस्तियों को, हो फकीर जैसे वैसी झोलियाँ सिखाते हो ।

शब्द-शब्द ज़ह्र भरा, कण्ठ में भी कहर भरा, और हमें प्यार वाली बोलियाँ सिखाते हो ।



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