STORYMIRROR

Ratna Kaul Bhardwaj

Classics Fantasy

4  

Ratna Kaul Bhardwaj

Classics Fantasy

नव निर्माण

नव निर्माण

1 min
498

इस चेतन जगत का नव निर्माण

है दायत्व मेरा

समाज में राह व आह का अंदाज़

है बदल देना

उम्मीद की किरण से समय का

है ज्ञान लेना


पावन हृदय का फिर से

है आह्वान करना

अनुउचित त्याग कर उचित को

है दारण करना

अपने भीतर उमड़ती धारणाओं को

है व्यवस्थित करना

समाज में अच्छे -बुरे का भेद

है स्थापित करना


क्योंकि मैं समाज की छवि हूँ

अंधकार में किरणें फैलता रवि हूँ

में बस एक अदना सा कवि हूँ

संवेदना की नाव पर सवार

ढूंढने जीवन का सार

मिटाने मन का अंधकार

सूर्य चंद्रमा के पार

जानने सृष्टि का आकार


चली हूँ सीखने सीखाने

कर्म और कर्ता के मायने

अंतर्मन के बंधन खोलने

बस सृष्टि में सम्मलित होने.......


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics