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Nitu Mathur

Classics Inspirational

4  

Nitu Mathur

Classics Inspirational

प्रखर किरणें

प्रखर किरणें

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कुछ परछाइयां दिखाई नहीं देती

कुछ कहानियां कभी बयां नहीं होती

दुनियां के इस शोर में अक्सर 

धीमी सच्ची आवाजें सुनाई नहीं देतीं


सूरज से निकल कर बादलों में छुपी

वो रोशनी हमें शायद दिखाई नहीं देती

मंदिर की शंख ध्वनि तो सुनाई देती है 

बेबस लाचार की आह सुनाई नहीं देती 


हम सब बस अपने व्यवसाय में खोए हैं

सहयोग कम शिकायतों के पिटारों से भरे हैं 

मदद के लिए हाथ बढ़ाते तो हैं लेकिन..

बदले में सौदे की मोहर दस्तख़त भी मांगते हैं 


कुछ नेकदिल इंसान भी होते हैं दुनियां में 

उनके अनछुए पहलू को महसूस किया है 

उन्ही नर्म उजालों को आज जोड़ा है हमने 

और नए सूरज से निखरी हैं ये प्रखर किरणें।


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