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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Classics

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

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यह अंधेरा

यह अंधेरा

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ये अंधेरा जीवन के, सच की प्रतिछाया है,

जीवन में द्वन्दों की ही, तो फैली माया है।


अंधेरा बाद उजाले का, आगाज होता है,

अंधेरा ही सूर्योदय का, आभास देता है। 


जग में कुछ भी न स्थिर, यही तो राज है,

रख धैर्य, ये भी गुजर जायेगा, जो आज है।


ये अंधेरा ही आगे बढ़ने का प्रेरक होता है,

अंधेरा ही प्रकाश की किरण, खोजता है।


अंधेरा सोच का, घने तिमिराच्छन्न होता है, 

ये अवसाद के बीज बो अंकुरित होते हैं।


ये अंधेरा क्या चीज ? अज्ञान का पर्याय है,

तमसो मा ज्योतिर्गमय प्रभु एक उपाय है।


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