STORYMIRROR

Shweta Mishra

Classics Inspirational

4  

Shweta Mishra

Classics Inspirational

नारी तेरी अजब कहानी

नारी तेरी अजब कहानी

1 min
378

तू ही पत्नी, तू ही माता, तू ही साथी, तू ही जन्मदाता,

तेरे बिना तो यह जग ही सूना हो जाता। 

तूने कितने संघर्ष झेले,

कितनी आग में हाथ हैं सेंके,

यह तो सिर्फ तूने जाना,

फिर भी तूने कभी हार को न माना। 


घर की लक्ष्मी तू कहलाती,

धन-धान्य तू घर में लाती,

तुझसे ही तो घर की खुशियाँ,

इसलिए तू गृहलक्ष्मी कहलाती। 


बच्चों के लालन-पालन में तू अपना जीवन बिताती,

न दिन देखती न रात, एक पैर पर खड़ी रह जाती,

नित्य-नवीन पकवान बनाकर तू बच्चों को खिलाती,

इनके चक्कर में तो, तू खुद का सुख तक भूल जाती। 


पत्नी बनकर तूने हर घर को सँभाला,

पति,बच्चे, सास-ससुर,

तूने सबको अपना माना। 

उनकी आज्ञा सिर-आँखों पर रख,

तूने अपना पूर्ण जीवन गुजारा,

फिर भी तूने कभी न अपना हक़ है माँगा। 


तेरी इसी अदा ने तो तुझे सबसे अलग बना डाला। 

न कुछ चाहा, न कुछ माँगा,

परिवार की खातिर तूने अपनी हर इच्छा का दमन कर डाला,

तेरी इसी अदा ने तो, तुझे, सबसे विलग बना डाला। 


आज की नारी सब पर भारी,

शिक्षा ग्रहण कर तूने अपनी स्थिति बदल डाली,

हर क्षेत्र में जाकर तूने, क्षमता दिखा डाली, 

इस तरह, आज तूने खुद की दुनिया बदल डाली।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics