अनजानी दोस्ती.....
अनजानी दोस्ती.....
दिल में हर पल एक ख्याल है आता,
पता नहीं क्यों कोई पराया, अपना सा लग जाता।
बात करते -करते हो गई है आदत सी,
फिर ना मैसेज तो, आ जाती है आफत।
तरह के ख्याल मन में हैं आते,
किंतु मन है कि कुछ समझना ही ना चाहे।
रह -रह के उस दोस्त की बातें याद आती हैं,
और मन के एक कोने में खुशी सी छा जाती है।
बातों का यह सिलसिला बढ़ता ही रहा,
एक -दूसरे को जानने का मौका मिलता रहा।
यह दोस्त है बड़ा ही बातूनी,
सुनाता है हमेशाा अपनी कोई ना कोई कहानी।
रहस्यवादी यह खुद को है कहता,
दिल में होने कितने ही राज,दबाए ही रहता।
इसको समझना नहीं है आसान,
क्योंकि यह तो है, रहस्यों से भरा।
यह दोस्ती ऐसे ही बनी रहे,
दिल में बस यही कसक सी लगी रहे।