तुम क्या हो?....
तुम क्या हो?....
एक प्रेमिका अपने प्रेमी से पूछती है कि मैं तुम्हारे लिए क्या हूँ?...
तो इसका जवाब वह कुछ इस प्रकार देता है...
तुम मेरी वो आस हो, जिसके नाम मेरी हर एक स्वास हो।
तुम वह प्यास हो, जो कभी न बुझती, जिसे हर समय कुएं की तलाश हो।
तुम वह साथ हो, जिसके कभी ना छूटने की आस हो,
इसलिए प्रिये तुम मेरे लिए बहुत खास हो।
तुम तो पतंग की वह डोर हो, जो हर समय खींचे मुझे अपनी ओर,
कैसे कहूँ तुमको तुम्हारे सिवा नहीं चलता इस दिल पर किसी का ज़ोर,
हर समय, हर घड़ी बस तुम्हारी ही सोच हो,
यही इस जीवन की साच है, इसलिए तो प्रिये तुम बहुत ख़ास हो।
तुम ही मेरी सुबह, तुम ही मेरी शाम,
तुम्हारे बिना तो दिल को एक पल भी नहीं मिलता आराम।
दिल यह रहता हर पल तेरी यादों में खोया,
तेरे बिना तो लगता है, जैसे मैंने अपना सब कुछ है खोया।
तुम्ही मेरी आस हो, एहसास हो, इसलिए तो प्रिये तुम मेरे लिए ख़ास हो।