STORYMIRROR

Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Classics Inspirational

4  

Brijlala Rohanअन्वेषी

Abstract Classics Inspirational

अबाधित स्वतंत्रता

अबाधित स्वतंत्रता

1 min
265

मैं तुम्हें देना चाहता हूं, 

अबाधित स्वतंत्रता !

इतनी स्वतंत्रता जिसमें तुम खुद को खुलकर जी पावो,

क्योंकि मैं जानता हूं की तुम्हारे अनुसार खुलकर जीना ! 

अपने सपने की लंबी उड़ान भर सको, 

खुद को अभिव्यक्त कर सको।


क्योंकि मैं जानता हूं स्वतंत्रता का महत्व क्या है ? 

हां ! मैं अगर किसी बात के लिए तुम्हें रोकता- टोकता हूं

तो वह इसलिए नहीं की मैं तुम्हारी आज़ादी के खिलाफ हूं!

वह इसलिए की तुम्हारे इरादे तो सही हो सकते हैं!

तुम्हारे उद्देश्य तो सही हो सकते हैं!

तुम सही हो सकती हो। 


मग़र औरों के इरादे और उद्देश्य से तुम शायद वाकिफ़ न हो !

 तुम्हारे बारे में लोग क्या सोचते हैं इससे तो कोई मतलब नहीं! 

इससे मुझे कोई फर्क़ नहीं पड़ता!

लेकिन तुम्हारे साथ लोग क्या करते हैं, 

या या क्या करने के बारे में सोच सकते हैं!

इससे मुझे फर्क़ पड़ता है !


इससे मेरा वास्ता है।

सिवा इसके की मैं तुम्हें देना चाहता हूं, अबाधित स्वतंत्रता!

 इतनी स्वतंत्रता जिसमें तुम खुद को बयां

कर सको,

 खुद को अभिव्यक्त कर सको!

एक सीमित दायरे के अंदर असीमित स्वतंत्रता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract