मन उड़ा पतंग जैसे
मन उड़ा पतंग जैसे
सुगंध ही सुगंध है,पवन के संबंध में,
कागज के टुकड़े नहीं,प्रेम अनुबंध में।
ओ पतंग अति ऊपर,दूर हो गए धरा से,
उतर आओ जरा नीचे,सभी के संग में।
नीली,पीली लाल,गुलाबी,कोई स्थिर हठीली।
कागज की काया लेकर,ये अप्सराएं छबीली।
खुशी खुशी, लेकर ठुमके,करेंगी नृत्य उमंग में।
देख हवा की दिशा, रुख,उड़े ख़ुशी की तरंग में।
