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V. Aaradhyaa

Classics

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V. Aaradhyaa

Classics

अपनी मर्ज़ी से जीना आसान नहीं

अपनी मर्ज़ी से जीना आसान नहीं

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ख़्वाहिशों को अदद किनारा देना आसान है क्या ?

समय की डोर थामकर चल पाना आसान है क्या ?


किसी को भी अपना बना लेना आसान है क्या ?

किसी के मन को भा जाना आसान है क्या ?


कर्म, परिश्रम तो सभी बड़ी लगन से करते हैँ;

पर मन चाहा फल पाना इतना आसान है क्या ?


रजनी ओढ़ती काली चूनर सितारे जड़ी निशा में;

आज की रात चाँद को घटते बढ़ते देखना है क्या ?


दिल की रवानी है,मौज ये उठती गिरती लहरें हैँ;

ज़िंदगी हवा सी बहती,अपनी धुन चलना है क्या ?


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