अपनी मर्ज़ी से जीना आसान नहीं
अपनी मर्ज़ी से जीना आसान नहीं
ख़्वाहिशों को अदद किनारा देना आसान है क्या ?
समय की डोर थामकर चल पाना आसान है क्या ?
किसी को भी अपना बना लेना आसान है क्या ?
किसी के मन को भा जाना आसान है क्या ?
कर्म, परिश्रम तो सभी बड़ी लगन से करते हैँ;
पर मन चाहा फल पाना इतना आसान है क्या ?
रजनी ओढ़ती काली चूनर सितारे जड़ी निशा में;
आज की रात चाँद को घटते बढ़ते देखना है क्या ?
दिल की रवानी है,मौज ये उठती गिरती लहरें हैँ;
ज़िंदगी हवा सी बहती,अपनी धुन चलना है क्या ?
