शाम को तुम जब भी
शाम को तुम जब भी
शाम को तुम जब भी बारिश सी बरसेगी।
मेरा प्यार तब धूप सुनहरी बन आ जाएगा
हम दोनों जब दूर क्षितिज में मिल जाएंगे।
आसमान में तब इंद्रधनुष खिल जाएगा।
सुख और दुख तो जीवन के दो पहिए हैं।
बिन दुख , सुख एहसास कहां दे पाएगा।
जितनी गहरी, काली ,रात अंधेरी होगी
दिन उतना ही चमकीला रोशन हो जाएगा।
तेरे बिछड़न से जो गहरा दुख उपजा है।
तू जब भी मिल जाएगी तो खुशियां लाएगा।

