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Usha Shrivastava

Abstract

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Usha Shrivastava

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बरसो रे मेघा

बरसो रे मेघा

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बरसो रे मेघा 

मेघा आओ बारीश लाओ, 

सर्व जनन के मन हरषाओ।

 मेघा बरसो झूम झूम,

 ताल तलैया भर दो भरपू।


कृषकों की आस पूरण कर दो, 

खेत बगीचे हरितिम कर दो।

गर्मी को तुम दूर भगाओ, 

बच्चों को मस्ती से भर दो।


झूमें नाचें खुशी मनाएं, 

पुआ,पकोड़े बनाकर खाएं।

प्रकृति को धानी चूनर ओढ़ाओ, 

गर्मी से राहत दिलवाओ।। 


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