शिक्षक की भूमिका
शिक्षक की भूमिका
ज़िंदगी प्रतिपल सिखाती है,आवश्यकता है समझने की,
सीखने और जीवन में अमल करने की।
तभी शिक्षा और शिक्षक का सही अर्थ समझ पाएंगे,
जो जैसे भी हमें सिखाए,वह शिक्षक कहलाएंगे।।
शिक्षक हमारे लिए बहुत कुछ करते हैं,
अज्ञान अंधकार दूर कर,शिक्षा का प्रकाश भरते हैं।
माता-पिता के उपरान्त,ज़िंदगी में अहम स्थान रखते हैं,
उनके बारे में कुछ कहना सूर्य को दीपक दिखाना है.।।
उनके ज्ञान भंडार के बदले,मुश्किल उनका क़र्ज़ चुकाना है,
बुद्धि की कोरी ज़मीन पर,शिक्षा का बीज बोते हैं।
पानी-खाद समय पर देकर,पौधा सुंदर उगाते हैं,
रखते ध्यान उस पौधे की,कीड़ों से उसे बचाते हैं ।।
पल्लवित-पुष्पित देखकर,शुभाशीष हृदय से देते,
माली बन फूल खिलाते,कुम्हार बन घड़े को सुंदर आकार देते,
जौहरी बन आभूषण में कर सज्जित ,हीरे की कीमत बढ़ाते हैं!
राष्ट्र निर्माण के लिए सदैव अच्छे नागरिक बनाते हैं,
नींव का पत्थर बन,राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं!!
पर हाय! आज शिक्षक,
समाज में गौरव-आदर ना पाते हैं।
बिल्डिंग की सभी प्रशंसा करते,
“नींव के पत्थर” भुला दिए जाते हैं !
