रूठना मनाना
रूठना मनाना
रूठना मनाना भी
एक प्रक्रिया है
जो किसी को आती
किसी को ना आती
कभी बच्चे रूठें
कभी बीबी रूठी
दोनों का रूठना
भी अजब समस्या है
बच्चों का रूठना
उनको उनकी इच्छा का
ना करने देना है
कभी कोई खिलौना
मोबाइल या टीवी
का होना है
जिसके लिए उनको
वो होना है
बच्चों का रूठना
मनाना आसान होना
नहीं दुखदाई इतना
बीबी का जितना
बीबी रूठ जाती
कभी साड़ी पर
कभी जेवरों की खरीद पर
कभी उसके किसी
काम की तारीफ का
ना करना है
कभी उसकी इच्छा का
ना होना है
सबसे बड़ी सुंदरता
लम्बे लम्बे केशों
की तारीफ का ना होना है
बीबी कब किस बात पे
रूठ जाये इस बात का भी
पता नहीं होना है
ये रूठना मनाना भी
आये दिन का रोना है
बीबी का रूठना अत्यंत
दुखदाई होना है
काली जली रोटी
जली सब्जी का
खाने में होना है
ना खाना ना पीना
ना बतियाना घर एक
मरघट की तरह होना है
जिसका नहीं कोई कोना है
यूँ तो इस रूठने मनाने
में भी एक आनंद का होना है
रूठ के मानने में भी
एक मजा होना है
बीबी को मनाने का
एक ही तरीका होना है
उसकी तारीफ के पुल
बांधते रहो
चाहै सब्जी में नमक
का कम होना
दाल में पानी का
ज्यादा होना
या साड़ी, जेवर का होना है
करते रहो बढ़ाई
हाँ में हाँ मिलाई
बीबी को खुश कराई
यदि बार बार रूठने मनाने
के झंझट से पार पाना है
नही तो इस रूठने मनाने में
ज़िन्दगी का ख़त्म होना है
और कुछ नहीं तो इस
आये दिन के रूठने
मनाने के चक्कर में
तलाक तो होना ही होना है।