STORYMIRROR

Dr.Deepak Shrivastava

Abstract

4  

Dr.Deepak Shrivastava

Abstract

रूठना मनाना

रूठना मनाना

1 min
267

रूठना मनाना भी

एक प्रक्रिया है

जो किसी को आती

किसी को ना आती

कभी बच्चे रूठें

कभी बीबी रूठी

दोनों का रूठना

भी अजब समस्या है

बच्चों का रूठना

उनको उनकी इच्छा का

ना करने देना है

कभी कोई खिलौना

मोबाइल या टीवी

का होना है

जिसके लिए उनको

वो होना है

बच्चों का रूठना

मनाना आसान होना

नहीं दुखदाई इतना

बीबी का जितना

बीबी रूठ जाती

कभी साड़ी पर

कभी जेवरों की खरीद पर 

कभी उसके किसी 

काम की तारीफ का

ना करना है

कभी उसकी इच्छा का

 ना होना है 

सबसे बड़ी सुंदरता

लम्बे लम्बे केशों

की तारीफ का ना होना है

बीबी कब किस बात पे

रूठ जाये इस बात का भी

पता नहीं होना है

ये रूठना मनाना भी 

आये दिन का रोना है

बीबी का रूठना अत्यंत

दुखदाई होना है

काली जली रोटी

जली सब्जी का

खाने में होना है 

ना खाना ना पीना

ना बतियाना घर एक

मरघट की तरह होना है

जिसका नहीं कोई कोना है

यूँ तो इस रूठने मनाने

में भी एक आनंद का होना है

रूठ के मानने में भी

एक मजा होना है 

बीबी को मनाने का

एक ही तरीका होना है

उसकी तारीफ के पुल

बांधते रहो

चाहै सब्जी में नमक

का कम होना

दाल में पानी का

ज्यादा होना

या साड़ी, जेवर का होना है 

करते रहो बढ़ाई

हाँ में हाँ मिलाई

बीबी को खुश कराई

यदि बार बार रूठने मनाने

के झंझट से पार पाना है

नही तो इस रूठने मनाने में

ज़िन्दगी का ख़त्म होना है

और कुछ नहीं तो इस

आये दिन के रूठने

मनाने के चक्कर में

तलाक तो होना ही होना है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract