STORYMIRROR

JETHANAND PANWAR

Abstract

4  

JETHANAND PANWAR

Abstract

सबसे ऊंचा रहे तिरंगा

सबसे ऊंचा रहे तिरंगा

1 min
384

निन्द्रा से जाग उठो,

तन-मन का आलस त्यागो।

अरि के दल का शोणित बहाने

ले कर कर में ,कृपाण भागो।


सर कटे मगर कभी झुके नहीं

अरि दल के आगे।

रहे भान हम राणा के वंशज

ना छोड़ कभी रण भागे।


तन मन दोनों रण में रहे

और जान रहे हथेली पर।

तन कट जाऐं बोटी-बोटी ,

पर ना रहे कभी मौत का डर।।


मातृभूमि पर उठने वाली,

हर एक, आँख झूका दो तुम।

पृथ्वीराज चौहान की आज

सब को याद दिलादो तुम।।


हम वीरों के हैं वंशज

इस बात पर हमको नाज रहें।

सबसे ऊंचा रहे तिरंगा,

बस बात यही आबाद रहे।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract