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Usha Shrivastava

Abstract

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Usha Shrivastava

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हाइकु

हाइकु

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रोको न पग

बढ़ो देश ख़ातिर

करो विकास 


 वाद विवाद

हो जाता है अनर्थ

ना करो व्यर्थ


माँ का दुलार

प्रभु का वरदान

है अनमोल


मैं तो पेड़ हूँ,

मानव, मौन खड़ा,

 काटते रहो


गलती तेरी,

दो न दोष कोरोना 

मढ़ ना देना।


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