नए युग की शुरुआत
नए युग की शुरुआत
बहुत इंतज़ार के बाद तुम आए जब मेरी गोद में
मैं रोते रोते हंस पड़ी
बाहर हवाएं मेरे मन मयूर के साथ साथ झूम रही थी
तुम फरिश्तें से लग रहे थे
मैने तुम्हें अपने दिल से लगा लिया था
मेरी सांसे तुम्हारी सांसों से मिल गई थी
तेरी नन्हीं उंगलियां मेरी उंगलियों पर आ गई थी
मैं अपने हाथों में लेकर लगातार देख रही थी अपने देहंश को
तब मैं बहुत खुश हुई थी कि मैने तुझे जन्म देके कई नए रिश्तों को जन्म दे दिया है
और कर दी है एक नए युग की शुरूआत।