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Dr.Purnima Rai

Romance Classics

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Dr.Purnima Rai

Romance Classics

मिलती सिर्फ मुहब्बत इबादत के रास्ते।।

मिलती सिर्फ मुहब्बत इबादत के रास्ते।।

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उड़ती है मुख की रंगत नफरत के रास्ते।

मिलती सिर्फ मुहब्बत इबादत के रास्ते।

आँखों में बस गये थे पहली नज़र में जो,

उतरे वो दिल में देखो शराफत के रास्ते।


भोली अदायें रूख पे गिरा एक नकाब है,

नाज़ुक जवानी ढूँढे शरारत के रास्ते।

कैसा ये दौर आया हुये बेवफा सनम,

गैरों से कब मिलेंगे हिफाजत के रास्ते।


चुपचाप मन ने तुमको किया था कबूल जब,

मिलने लगी थी रूहें नज़ाकत के रास्ते।

दूरी बढ़ी दिलों में खत्म हो गया जहाँ,

खुलने लगे हैं खुद ही अदावत के रास्ते।


नव "पूर्णिमा" गगन को रोशन न कर सकी,

धरती भी चल पड़ी अब बगावत के रास्ते।


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