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Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama

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Dr. Madhukar Rao Larokar

Drama

नारी

नारी

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धरा में सुंदर, नगीना है नारी

जीवन-पथ में, महानता इसकी भारी।


ज्ञानदाता, अन्नदाता है, यह दुर्बल नहीं

है सबल जीवन नैया, पार लगाती यह।


बिन नारी जग सूना, स्वरूप इसका विशाल

विविध रूपों में आकर, करती है कमाल।


इंसाँ क्या देवता भी, शीश नवाते सारे

जन्म देकर मानव को करती मालामाल।


विष्णु जैसी पालनहार होती है नारी

बच्चों की गुरु, सबके दुख-सुख बाँटती सभी।


नारी की अस्मिता का, निरादर किया जिसने

उस घर में वैभव, 'मधुर 'कहाँ रहता कभी।


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