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Dr Priyank Prakhar

Tragedy

4.5  

Dr Priyank Prakhar

Tragedy

नारी मूरत बन जाएगी

नारी मूरत बन जाएगी

1 min
330


चंद्रमा की चांदनी देकर, सूरज से रोशनी लेकर,

तारों सी झिलमिल,चलो एक मूरत बनाई जाए।


सागर से मोती लेकर, हिमदीपक सी ज्योति देकर,

पुष्पों के स्वप्ननिल रंगो से, सुंदर छवि सजाई जाए।


चंचला की चंचलता देकर, सलिला से नित्यता लेकर,

पक्षियों के मधु-कलरव से, उसकी सूरत जगाई जाए।


कुछ ऐसा कर दिखाएं, वो मनोहारी मूरत बनाई जाए,

देख के सुंदर सूरत वो, लगता है के जान बसाई जाए।


पर प्रभु है एक निवेदन, मत देना तुम उसको प्राण,

ना बंध पाए जीवन बंधन में, बस दे दो यह वरदान।


नारियां तब तक पूजी जाती, जब तक हैं मूरत कहलाती,

वरना बन बेटी बहू हमारी, दरिंदों के हाथों से नुच जाती।


फिर भी देना चाहो प्राण, तो मेरी बात पे देना तुम कान,

जब चाहे मूरत बन जाए, दो रूप बदलने का ये वरदान।


ना रह जाएंगे राग-विराग, ना होगा उसमें द्वेष का लेश,

रहेगी हमेशा बनके मूरत, ना होगा उसे अनुराग विशेष।


अब तोड़ो चुप्पी अपनी, बोलो कब तक नारी सह पाएगी,

मत देर करो दिन दूर नहीं, जब हर नारी मूरत रह जाएगी।



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