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Anita Sharma

Romance Tragedy

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Anita Sharma

Romance Tragedy

प्रेम_करार

प्रेम_करार

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सूरज निकला उम्मीदों का सवेरा आया,

गहराती सी शाम की चांदनी ने लुभाया,


इस हसीं शाम को..मिलने का वादा है,

हुआ बेइन्ताह प्यार..ये उसका दावा है,


किसी का वक़्त इंतज़ार में ही गुज़र गया,

जन्मो का साथी जब सिरे से मुकर गया,


वादे तो कर लिए पर निभाना न आया,

पाने की ख्वाहिश थी..चाहना न आया,


किसी रोज़ करते थे...एतबार वादों पर,

उनको सच्ची बातों से...करार ना हुआ,


इक ओर चांदनी सा...बरस रहा था प्यार,

बात वादों की नहीं..इश्क़ रूहानी जो हुआ,


वो वादे ना करना…..निभाना है मुश्किल,

निभा लो प्यार दिल से…..तो है मुकम्मल


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