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Chandan Kumar

Tragedy

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Chandan Kumar

Tragedy

कहां कोई दिवाना हैं

कहां कोई दिवाना हैं

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जानता हूं कि अब ईमेल व्हाट्सप्प का ज़माना है,

अब कागज़ के ख़त का कहां कोई दिवाना है !


सब अपने काज में व्यस्त झूमता हुआ कहां नजारा है,

बस एक रोटी की भूख मिटाने में सब अबारा है !


खुशियां अव्वल दिखने का कहां नजारा है,

आदर सम्मान का क्यों मिटता पिटारा है !


जानता हूं ईमेल व्हाट्सप्प का ज़माना है,

पर ख़ुशियों का कौन नहीं दिवाना है !


अवसरों की तलाश में हम त्योहार मानते है,

छोटी छोटी खुशियां से हम ज़िंदगी संवार जाते है !


छोटे बच्चे हमारे जीवन के चांद है,

सच कहूं तो वही असल मुस्कान है !


हम तो कागज़ के ख़त पर लट्टू हो जाते थे,

ये ईमेल व्हाट्सप्प पर तो हम निखट्टू हो जाते हैं !



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