यादें
यादें
हम सबकी खुशियों में जिसने हमेशा से खुशी मनाई थी,
परिवार संग जीवन की हर एक रीति उसने निभाई थी ,
आज हरी भरी बगिया को छोड़ बिन माली सब सूना है,
छोड़ गया साथ वो जिसने हमें जीने की राह दिखाई थी,
इस छोटी निंदियारी अखियों में जब- जब नींद न आई,
झुलाकर पालने में उसने मीठी- मीठी लोरी सुनाई थी ,
मन में एक व्यथा-सी उठती जब भी याद उनकी आती ,
नयनों से नीर बहते रहते नींद बरबस ही उचट जाती थी,
दिन बीत जाता कब संध्या आ जाती इसकी खबर नहीं,
हर उन रातों को उनकी यादों की बाती हमने जलाई थी,
लगता जैसे मौन है धरती, लेकिन हवाएँ कुछ कहती है,
सुनाई देती हैं वो सभी बातें जो उन्होंने हमको बताई थी,
आपने जो स्नेह और दुलार दिया वो आज याद आता है,
रह - रहकर याद आती बातें जो आपने हमें सिखाई थी,
इस हरे भरे उपवन में आज एकाकीपन क्यों खलता है,
संस्कार मिले उनसे जिनके पद चिह्नों पर मैं चलती थी,
कहाँ चले गए आप हमें छोड़कर अकेले इस बगिया में,
सूनी पड़ी वो बगिया जो सिर्फ आपसे ही महकती थीI