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Sheetlba Jadeja

Tragedy

4.5  

Sheetlba Jadeja

Tragedy

परी

परी

1 min
556


आखों में एक परी थी ,

पर उलजी हुई वो कली थी,

रंग उसका सावला था ,

आखें सूरज सी तेज थी ,

गुलाबी होठों पे खडा एक सवाल था,

एक पिजरे में आझादी केद थी ,

खुले आसमान में उड़ना सपना था ,

जीम्मदारी में केद उसकी दुनिया थी ,

हर कागज का टुकड़ा एक नोट था,

भागती थी वो उन टुकड़ो के पीछे ,

जेसे मानो कई सारा कर्ज था,

बस इक छाव को तरसती थी आखें ,

सूरज की बरसात थी तब ,

सवाल मत पुछो इक राज था,

खुशी के लिबास के नीचे रखा था ,

उदासी में लीपटा उसका हर वो हिस्सा था ,

अपनो के सपनों को पूरा कर रही थी ,

खुद के सपनों की रद्दी बनी थी वो,

बस कलम अपनी थी उसकी ,

उससे  कुछ राज़ लिख लेती थी ,

कुछ कविता और कहानीयाँ,

कलम ही अब उसकी दवा थी ,

और ज़िंदा होने का सबुत ,

सभी का अच्छा करना था ,

वो भी उसका एक फ़र्ज़ था ,

एहसान फरामोश हे ये दुनिया ,

फिर भी अच्छाई के साथ रिश्ता था ,

पुराने गमो को कब्रमे दफनाया था,

और खुद की आखों ने आज पूछा था ,

पराई होके क्या दर्द था ??

 


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