STORYMIRROR

Sheetlba Jadeja

Romance Action

4  

Sheetlba Jadeja

Romance Action

तुम मेरी समझ में नहीं आते हो

तुम मेरी समझ में नहीं आते हो

1 min
351

तुम मेरी समझ में नहीं आते हो ,

एक पहेली जैसे हर रोज नजर आते हो ,

संग संग चली जाती हूँ हर दिन साथ तुम्हारे ,

पैरो के निशान फिर भी पानी में ही समाते हो ,

साथ हो कर भी शीशे में नहीं दिखता चेहरा ,

वजूद से ही बस मुस्कराहट ले आते हो ,

आज फिर मेरी समझ में तुम नहीं आते हो |


पढ़ लिया मैंने हरा पन्ना तुम्हारी किताब का,

कुछ नये पन्ने रोज बढ़ाते हो ,

उतर नहीं मिलेगा इन पहेलियों का ,

हर रोज ये अहसास दिलाते हो ,

आज फिर मेरी समझ में तुम नहीं आते हो |


हां , सबुत दिए हे मैंने, कोशिश भी की हे मैंने,

उन हर एक पन्नों की पहेलियों को सुलझाने में ,

पर मेरी हर कोशिश को प्यार से,

मनोरंजन बनाकर जब तुम हंस जाते हो ,

आज फिर मेरी समझ में तुम नहीं आते हो |


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance