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Bharat Paswan

Romance Tragedy

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Bharat Paswan

Romance Tragedy

मैं मजबूर हो गया ...

मैं मजबूर हो गया ...

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तुझसे दूर होकर मैं मजबूर हो गया

किस्मत का रूठना अब दस्तूर हो गया, 


क्या कसूर दू इस किस्मत को

अपनी आदतों से ही मैं तुझसे दूर हो गया, 


अब तुम्हें देखना तो दूर

तेरी एक आवाज सुनने को मजबूर हो गया, 


अब भी जिन्दा है इस दिल में तेरी चाहत

तुझे याद करके ही एक पल के लिये ही सही, 

फिर से मैं खुशहाल हो गया। 


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