Bharat Paswan
Romance
क्या कहें तुमको हम,
हम तुमको कभी ना भूल पाएंगे,
मर भी गए अगर
तेरी यादों में सदा झिलमिलाएंगे
कड़वी ही सही तेरी बातों पर,
अब हम ना आंसू बहायेंगे
अलविदा हमेशा के लिए
सदा खुश रहो अपनी दुनिया में।
तेरी यांदों क...
मेरे प्यार को...
मैं मजबूर हो ...
कुछ पल दिन बह...
तुझे समझने की...
किसी को भूल ज...
तू ही एक मेरे...
दिल को दुखाने...
झूठे प्यार की...
तुमको भूल ना ...
जिंदगी का हर पग तुम्हें मैं अर्पित करना चाहती हूँ। जिंदगी का हर पग तुम्हें मैं अर्पित करना चाहती हूँ।
मैंने कभी नहीं मांगा था हाथ तुम्हारा साथ तुम्हारा मैंने कभी नहीं मांगा था प्रीत तुम। मैंने कभी नहीं मांगा था हाथ तुम्हारा साथ तुम्हारा मैंने कभी नहीं मांगा था ...
पर जीवन की संध्या बेला में ये एहसास चरम पर होता है ।। पर जीवन की संध्या बेला में ये एहसास चरम पर होता है ।।
तुम जाते जाते ले गये.. मुझसे मेरी साँझ की तसल्ली.. तुम जाते जाते ले गये.. मुझसे मेरी साँझ की तसल्ली..
याद नहीं आ रही अब मुझे रुक्मणी और राधा.. चुंबकीय आकर्षण में तेरे हो गई अधीर और आधा.. याद नहीं आ रही अब मुझे रुक्मणी और राधा.. चुंबकीय आकर्षण में तेरे हो गई अधीर ...
बस तुम यूं ही आ जाना...। बस तुम यूं ही आ जाना...।
नफरतों का हो कैसा भी आलम ऋषभ प्रेम नफरत में चाहत को भर जायेगा नफरतों का हो कैसा भी आलम ऋषभ प्रेम नफरत में चाहत को भर जायेगा
राधिका रचाए रास कान्हा की याद में, निर्मोही हुए कान्हा सुध भी लेने ना आए। राधिका रचाए रास कान्हा की याद में, निर्मोही हुए कान्हा सुध भी लेने ना आए।
है वह नारी, जो सब पर भारी वो हम सबकी मां है प्यारी।। है वह नारी, जो सब पर भारी वो हम सबकी मां है प्यारी।।
एक गीत अपनी मोहोब्बत के लिए।। एक गीत अपनी मोहोब्बत के लिए।।
मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था... मैं बन जाती थी आसमान, वो तारा बनकर मुझमें बिखर जाता था...
पात पात प्रतीति परिभाषित, है तुम बिन फागुन अभिशापित। पात पात प्रतीति परिभाषित, है तुम बिन फागुन अभिशापित।
उदासियों का कर के आलिंगन, ले लो सुबह सवेरे अंगड़ाई। उदासियों का कर के आलिंगन, ले लो सुबह सवेरे अंगड़ाई।
वह कहानियाँ कहता था…मैं कहानियाँ सुनती थी… उसे व्हाईट रंग पसंद था और मुझे ब्लैक… वह कहानियाँ कहता था…मैं कहानियाँ सुनती थी… उसे व्हाईट रंग पसंद था और मुझे ब्लैक...
तुम्हारे अंदर वो तमाम रद्द-ओ-बदल जो तुमने सिर्फ़ मेरे लिए किये उनका आभार जता सकूँ मै तुम्हारे अंदर वो तमाम रद्द-ओ-बदल जो तुमने सिर्फ़ मेरे लिए किये उनका आभार ...
तुम्हारी यादों के सफ़र पर रोज रात निकल पड़ती हूँ। तुम्हारी यादों के सफ़र पर रोज रात निकल पड़ती हूँ।
गिनना चाहती हूँ तारों को मैं, चाँद पर बैठना चाहती हूँ, थोड़ी देर... गिनना चाहती हूँ तारों को मैं, चाँद पर बैठना चाहती हूँ, थोड़ी देर...
मैं मचलती हूँ सात सुर-सी बजती वीणा-सी, कोई नश्तर नहीं मेरे वज़ूद के आसपास... मैं मचलती हूँ सात सुर-सी बजती वीणा-सी, कोई नश्तर नहीं मेरे वज़ूद के आसपास...
थोड़ी सी ख़ामोशी मुझे है स्वीकार ... अतिशयोक्ति में डूबा हुआ नहीं चाहिए प्यार ! थोड़ी सी ख़ामोशी मुझे है स्वीकार ... अतिशयोक्ति में डूबा हुआ नहीं चाहिए प्यार !
मुझे अपने कलम की स्याही में सुरक्षित कर लो, मुझे शब्दों की सशक्त श्रृंखला में हीरे सा मुझे अपने कलम की स्याही में सुरक्षित कर लो, मुझे शब्दों की सशक्त श्रृंखला में...