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Vishu Tiwari

Tragedy Others

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Vishu Tiwari

Tragedy Others

मजदूर हूॅं

मजदूर हूॅं

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मैं मजदूर हूँ,

मेहनत व ईमानदारी से

कमाता हूँ,

दो वक्त की ही सही 

सुकून से खाता हूँ।


मैं मजदूर हूँ,

न चाह महलों के

वैभव का,

न लालसा है

कुछ पाने का,

वर्तमान में रहता हूँ।


तोड़ता हूँ पत्थर,

तुम्हारे रास्ते के लिए,

अपने पैरों में छाले लिए,

हसरतों को दफन करके,

तुम पर खुशियां लुटाने के लिए,

अपने सपनों से दूर हूँ।


फावड़े से काटता हूँ,

तुम्हारे लगाए

कटीली झाड़ियों को,

पाटता रहा हूँ ,

सभ्य कुलीन समाज द्वारा

खोदी गई खाइयों को,

अपनों से दूर हूँ,

बहुत मजबूर हूँ ।।


मैले कपड़ों में

लिपटा हुआ जर्जर

ये तन, बदबूदार पसीने से

लथपथ ये तन

गवाही देता है

कितना निश्छल

व निर्मल है मन,

हर चकाचौंध से दूर हूँ

मैं मजदूर हूँ ,

मैं मजदूर हूँ ।।



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