आज का सच
आज का सच
बचपन में कितना प्यार होता है,
हर एक रिश्ते में मग़र क्यों हम सब...
बदल जाते हैं बड़े होने के बाद,
दूरियां क्यों बढ़ जाती हैं हर रिश्ते में...
एक ही थाली में साथ खाने वाले,
एक-दूसरे का झूठा खाकर भी खुश...
हर तकलीफ़ में साथ देने वाले ही,
क्यों बन जाते हैं परायों से भी पराये....
कभी एक साथ रहने वाले भाई भी,
एक ही घर में रहकर बोलते तक नहीं हैं...
वो बहन जो सबकी दुलारी थी कभी,
उसके आने पर अब कोई खुश नहीं होता...
माँ बाप के पैर दबाने वाले लाडले बेटे,
अब जायदाद में हिस्से की ख़ातिर लड़ते हैं...
दीवारें घरों में खींचना अब आम बात है,
कि जगह दिलों में किसी के बची ही कहाँ है...।