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Vibhav Saxena

Abstract

4.0  

Vibhav Saxena

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मंज़िल

मंज़िल

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वैसे तो जिंदगी में हर कोई अपने हिस्से की मेहनत करता है,

मगर हर किसी को नसीब नहीं होती उसकी मनचाही मंजिल...

और उस पर भी उन लोगों का हवा में उड़ना समझ नहीं आता,

जिन्हें मिल जाती है अक्सर आसानी से अपनी अपनी मंजिल.!!


आखिर क्यों ये लोग खुद को दूसरों से ज्यादा काबिल समझते हैं, और वजह सिर्फ ये कि उन्होंने अपनी मनचाही मंजिल पा ली है. 

दुनिया में शायद कोई भी नहीं चाहता होगा कि वो गरीब ही रहे,

हर किसी का सपना होता है जिंदगी में ऊंचाइयों को छूने का..!!


मगर अफसोस कि कभी हालात तो कभी किस्मत हर किसी को, उसकी मंजिल तक पहुंचने नहीं देती जो परेशान करता है उन्हें. यह अच्छा है कि आपको अपनी मनचाही मंजिल मिल गई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि बाकी ने कोशिश नहीं की..!! 


इसलिए केवल हैसियत देखकर ही सामने वाले इंसान के साथ,

कोई बुरा सलूक मत करो क्योंकि इतना गुरूर अच्छा नहीं होता.

और ऊपर वाला आपके लिए कब कौन सी मंजिल तय करेगा,

इस बात का तो आपको दूर दूर तक शायद अंदाजा भी नहीं है.!!


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