आभार.....
आभार.....
धन्य हैं वो जो खुद की भी चिन्ता नहीं करते,
देश के लिए जीते हैं और देश के लिए मरते।
जब से शुरू हुई विश्व में ये कोरोना महामारी,
सरकारें हुई परेशान और दुखी जनता बेचारी।
ऐसे में कुछ देवदूतों ने अपना कर्तव्य निभाया,
हम सबकी रक्षा करने का देखो बीड़ा उठाया।
अपनी जान पर खेलकर बचाते औरों की जान,
इसीलिए चिकित्सक कहलाते हैं दूजे भगवान।
जिनकी वजह से दिन रात सफाई भरती है दम,
स्वच्छता दूतों की प्रशंसा को शब्दकोश है कम।
अपनी फिक्र नहीं करते खबरें हम तक लाने को,
हर प्रयास कम पड़ता उनका आभार जताने को।
हमारी रक्षा करने को रहते हैं जो हमेशा ही तत्पर,
कुछ भी कर लें हम उनके ऋणी रहेंगे जीवनभर।
देश के विकास में करता है कुछ भी जो योगदान,
साधारण व्यक्ति नहीं वो हर कोई है वाकई महान।
इस कविता के माध्यम से देना है इतना ही संदेश,
साधुवाद कर्मवीरों को और यूं ही एक रहे मेरा देश।