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Abhishu sharma

Inspirational

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Abhishu sharma

Inspirational

चलो आज उठते हैं

चलो आज उठते हैं

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हार्ड-वर्क की ब्रेड पर

गुड -लक की काल मिर्च को

नज़र के काले टीके सा छिड़ककर

अर्क का टीका तिलक माथे पर सजाकर

पैशन(जुनून) की मटकी में

पेशेंस(धैर्य ) के थोड़े से भीगे बादामों को पीसकर पीते हैं

आओ चलो आज उठते हैं  

फ़ास्ट -फ़ूड की रैबिट(खरगोश)-सी

इस फर्राटा-सी फ़ालतू रेस में जिस दूध को कभी ढूँढा ही नहीं

कछुए की रफ़्तार में

जाकर रसोईघर में

देखा भगोनी पर रखी छलनी हटाकर सही

रेडी-टू-थिंक की इंस्टेंट मुस्कान थी छुपी सामने यहीं-कहीं

एनर्जी (ऊर्जा ) सेव बहुत हो गई

आओ चलो उठो आज खुशियों की

इस उल्लास भरी गुल्लक को फोड़ते हैं ,

ज़िन्दगी के आँगन में लहराती

इन ठंडी हवाओं का सांसों संग ये अमर रोमांस

आओ चलो उठो आज

इस खिलते चमन में मासूम -तरुण कलियों संग

एनरिच-एनहान्स(उन्नति करना ) करें,

इस नए दिन का एक नया डांस करें

कहते -सुनते सबको हंसते -हंसाते ज़िन्दगी के इस सुन्दर गीत को गुनगुनाते

हिलडुल कर नाचते-गाते आते -जाते

आज इस बहती नदी के कल-कल करते पानी को

बीते कल की खटास की

आँखों में आँखें डालकर,

पिछली गलतियों का सत् सारा

सारा सबक निचोड़कर पी जाएँ ,

आओ चलो उठो आज बिस्तर की कब्र से उठकर

अखबार की बड़ी किसी खबर-सा कोई असर करते हैं

आओ चलो आज जी उठते हैं



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