चलो आज उठते हैं
चलो आज उठते हैं
हार्ड-वर्क की ब्रेड पर
गुड -लक की काल मिर्च को
नज़र के काले टीके सा छिड़ककर
अर्क का टीका तिलक माथे पर सजाकर
पैशन(जुनून) की मटकी में
पेशेंस(धैर्य ) के थोड़े से भीगे बादामों को पीसकर पीते हैं
आओ चलो आज उठते हैं
फ़ास्ट -फ़ूड की रैबिट(खरगोश)-सी
इस फर्राटा-सी फ़ालतू रेस में जिस दूध को कभी ढूँढा ही नहीं
कछुए की रफ़्तार में
जाकर रसोईघर में
देखा भगोनी पर रखी छलनी हटाकर सही
रेडी-टू-थिंक की इंस्टेंट मुस्कान थी छुपी सामने यहीं-कहीं
एनर्जी (ऊर्जा ) सेव बहुत हो गई
आओ चलो उठो आज खुशियों की
इस उल्लास भरी गुल्लक को फोड़ते हैं ,
ज़िन्दगी के आँगन में लहराती
इन ठंडी हवाओं का सांसों संग ये अमर रोमांस
आओ चलो उठो आज
इस खिलते चमन में मासूम -तरुण कलियों संग
एनरिच-एनहान्स(उन्नति करना ) करें,
इस नए दिन का एक नया डांस करें
कहते -सुनते सबको हंसते -हंसाते ज़िन्दगी के इस सुन्दर गीत को गुनगुनाते
हिलडुल कर नाचते-गाते आते -जाते
आज इस बहती नदी के कल-कल करते पानी को
बीते कल की खटास की
आँखों में आँखें डालकर,
पिछली गलतियों का सत् सारा
सारा सबक निचोड़कर पी जाएँ ,
आओ चलो उठो आज बिस्तर की कब्र से उठकर
अखबार की बड़ी किसी खबर-सा कोई असर करते हैं
आओ चलो आज जी उठते हैं
