शुभ सांकेतिक हरित जननी, लाभ इच्छा से मैं अति भाली शुभ सांकेतिक हरित जननी, लाभ इच्छा से मैं अति भाली
अनचाहे क्षणों की टीस में, पश्चाताप में तपने लग जाता हूं, अनचाहे क्षणों की टीस में, पश्चाताप में तपने लग जाता हूं,
विरह-वेदना सोच घबराती मैं रंग कंचन का, नीरज की सौम्यता विरह-वेदना सोच घबराती मैं रंग कंचन का, नीरज की सौम्यता