अनचाहे क्षणों की टीस में, पश्चाताप में तपने लग जाता हूं, अनचाहे क्षणों की टीस में, पश्चाताप में तपने लग जाता हूं,
तभी तो कहता हूं कि ना जाने क्यों जमीं पर सोने की आदत सी हो गई है। तभी तो कहता हूं कि ना जाने क्यों जमीं पर सोने की आदत सी हो गई है।
प्रभु सदा सहायक हैं कर्मवीर के, तत्पर रहें सदा श्रम-भट्टी में तपने। प्रभु सदा सहायक हैं कर्मवीर के, तत्पर रहें सदा श्रम-भट्टी में तपने।