मन संवेदनशील,दृष्टि में रहे समादर मन संवेदनशील,दृष्टि में रहे समादर
बयां नहीं कर सकती, इसमें वैसे तो बहुत जोश है औरत और कलम आज ना जाने क्यों खामोश है...! बयां नहीं कर सकती, इसमें वैसे तो बहुत जोश है औरत और कलम आज ना जाने क्यों खामोश ह...
खुद को बदलते नहीं हम दूसरों से बदल जाने की उम्मीद बार-बार करते हैं। खुद को बदलते नहीं हम दूसरों से बदल जाने की उम्मीद बार-बार करते हैं।
प्यार ही जगत में है सद्गुण सही, एक ही कुटुंब है प्यारी सारी मही। प्यार ही जगत में है सद्गुण सही, एक ही कुटुंब है प्यारी सारी मही।
तेरा होना ही मेरे लिए है खास, तुझसा कोई दूसरा नहीं तू ही मेरा आस। तेरा होना ही मेरे लिए है खास, तुझसा कोई दूसरा नहीं तू ही मेरा आस।
कर्म फल एक सत्य यथार्थ है, बिन कर्म के फल न प्राप्त है। कर्म फल एक सत्य यथार्थ है, बिन कर्म के फल न प्राप्त है।