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राजेश "बनारसी बाबू"

Classics Inspirational

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राजेश "बनारसी बाबू"

Classics Inspirational

*कर्म फल*

*कर्म फल*

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कर्म फल एक सत्य यथार्थ है,

बिना कर्म के फल न प्राप्त है।

नींद चैन को त्याग कर,

कर्म प्रशस्त हो जाना।

कर्म करने के पश्चात,

तुम निश्चय फल पाना।


जस कर्म तस फल,

बिन कर्म ना कोई फल।

फल चिंता ना तू करना बंदे,

कर्म से ही फल प्राप्त है बंदे।

सदा कर तू सत्कर्म,

जग में मिलते सद्गुण निष्कर्ष।


बिन कर्म ना होए पूजा,

बिन कर्म धरती अधूरा।

कर्म करत है बनते काम,

कर्म से ही बिगडत भी है काम।


कर्म बनाए कर्म बिगाड़े,

कर्म से धरती पे उपजे राम।

कर्म से ही बने है बुद्ध महान,

कर्म है सेवा कर्म है मेवा,

कर्म से ही घर बनत है।


कर्म से घर बिगड़त है,

कर्म ही पूजा कर्म प्रधान।

कर्म फल एक सत्य यथार्थ है,

बिन कर्म के फल न प्राप्त है।


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