दीपक
दीपक
करने रौशन घर के कोने
वो खुद ही जल जाता है
तपता है अविरल जब तक
कालिख ना शेष रह जाता है
जब वह दीपक बन जाता है
दृढ़ संकल्प का तेल लिए
सच्चाई की बाती बनकर
मन का अंधियारा दूर करें
हरदम वह याद दिलाता है
जब वह दीपक बन जाता है
हम भी जलकर कुछ अंधियारे
मन को रौशन कर दें ऐसे
घर-घर में प्रेम की ज्योत जले
जो त्याग की राह दिखाता है
ज्यों वह दीपक बन जाता है।
