सफ़र ए ज़िंदगी
सफ़र ए ज़िंदगी
सफ़र की बात है लेकिन
है मंज़िल का ठिकाना नहीं
मिलेगी मंज़िल तो खुशी होगी
ना मिली तो भी कोई बहाना नहीं
किस्मत में गर हार है तो हार जाएंगे
मगर आखिरी सांस तक कोशिश करते जाएंगे
यूं तो आसान नहीं सफ़र ए ज़िंदगी
हौसला है फिर भी मुस्कुराएंगे
हालातों से हार कर बैठना है मंज़ूर नहीं
आग के दरिया को भी पार कर जाएंगे
नादानी गई नहीं अभी तक
बचपना ज़िंदा है
ये ज़िंदगी भी तो घायल सा
एक परिंदा है
रूठेंगी मंजिलें, टूटेंगे ख़्वाब
मगर हार कर मुझे
यूं ही नहीं बैठना है।