चल ज़िंदगी
चल ज़िंदगी
चल ज़िंदगी एक नया
इतिहास लिखते हैं
जो हमें ना पहचाने
उसे हम भी नज़रअंदाज़ करते हैं
दुनिया की बातों से
आगे निकल कर
अपनी दुनिया में जीते हैं
चल जीते हैं
चल ज़िंदगी एक सवेरा
फिर अपने नाम करते हैं
गम का कोहरा डाल कर
एक शाम तो बीत गई
अब वो रात गई
सो बीत गई
चल फिर मुस्कुराकर
सुबह से शाम करते हैं
चल ज़िंदगी फिर होठों पर
मुस्कान रख कर
जो पीछे छूट गया
वो सब छोड़
नया आगाज़ लिखते हैं।