नारी हूं
नारी हूं
हां गर्व है मुझे, मैं नारी हूं
शक्ति भी हूं काली हूं
दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी बनकर
मैं धरती पर आती हूं
मैं हूं तो ही जग है सारा
मैं नहीं तो होगा अंधियारा
मुझे कमज़ोर समझने की
कभी भी गलती मत करना
मैंने ही बनकर नवदुर्गा
रक्तबीज को मृत्यु तक पहुंचाया
लक्ष्मीबाई बनकर मैंने
फिरंगियों को मात खिलाया
मैं ही द्रौपदी भी थी
जिसको कृष्णा ने धर्म का मार्ग बनाया
मैं ही गीता हूं
मैं ही सीता हूं
मैं ही तो कौशल्या हूं
मैंने अपना तन काट कर
तुमको जीवन से मिलवाया
क्यों कहते हो मुझे कमज़ोर
क्या अब भी मुझे समझ ना पाए
क्या इतनी सी है तेरी समझ की डोर
जब तक चुप हूं सीता हूं
चुप्पी टूटी तो काली बनूंगी
गर बात सम्मान पर आई
तो अब मैं चुप नहीं रहूंगी
कर दूंगी सब कुछ कुर्बान
पर सम्मान के लिए नहीं झुकूंगी
दे दूंगी मैं प्राण भी अपने
पर कमज़ोर नहीं बनूंगी।
हां गर्व मुझे है, मैं नारी हूं
मैं शक्ति भी हूं काली हूं।
