दोस्ती
दोस्ती
हम दोस्ती सीखने गए
वो हमें दुश्मनी सिखा बैठे
हमारी खता इतनी सी थी
कि उन्हीं से दिल लगा बैठे
खुद ही हाथों में जाम लेके
वो बनते रहे शरीफ़
जब बात अपने पे आई
हमें ही कह दिया अजीब
खुद ही खोल के शराब की ठेकी
खुद ही धरने पर बैठ गए
दोनों ही थी बाज़ी उनकी
वो ही बाज़ी जीत गए
हमारा था ही क्या यारों
हम तो वापस लौट गए
उनके दर पर ना जाकर भी
उनके शीशे तोड़ गए।