मन के ओसारे आस का दीया जलाएं
मन के ओसारे आस का दीया जलाएं
अमावस की काली रात ना हावी होने देंगे,
उजास लिए हुए दीपों की कतार सजाएंगे !
ज़ब कभी मन में उदासी सी छाए,
मन के ओसारे आस का दीया जलाएंगे !
यह जीवन है सुख दुःख का सतत मेला,
कभी गोधूलि, कभी सुबह सवेरा लाएंगे !
पल प्रति पल बदलते इस जीवन क्रम में,
रौशनी की उपस्थिति दर्ज़ कराएंगे !
अपने मन को कतई मलीन ना होने देंगे,
रिश्तों को बहुत संजोकर अपनाएंगे !
अपनेपन और सौहार्द से मिलजुलकर,
इस बार की शुभ दीपावली मनाएंगे !
अमावस की काली रात ना हावी होने देंगे,
उजास लिए हुए दीपों की कतार सजाएंगे !
जब कभी मन में उदासी सी छाए,
मन के ओसारे आस का दिया जलाएंगे !